रक्षाबंधन: भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के प्यार का प्रतीक
रक्षाबंधन: एक बंधन की परंपरा
पर्व का महत्व:
रक्षाबंधन हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर एक खास प्रकार की मौली या राखी बांधती हैं और उनकी लंबी जीवन और सुरक्षा की प्रार्थना करती हैं।
इतिहास और पौराणिक कथाएं:
- कृष्णा और द्रौपदी: जब भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल को मारा, तो उनका अंगूठा कट गया था। द्रौपदी ने अपनी साड़ी से उस जख्म को बांध दिया। श्रीकृष्ण ने उसे अपनी बहन मान लिया और उसकी हर मुश्किल में सहायता की।
- यम और यमुना: कथा के अनुसार यमुना ने अपने भाई यम की कलाई पर राखी बांधी थी। यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि वह मृत्युलोक की रानी बनेगी और उसकी जीवन की रक्षा करेगा।
- रानी कर्णवती और हुमायूँ: मुग़ल सम्राट हुमायूँ के समय, जब चित्तौड़ की रानी कर्णवती को मल्लिक बहलूल लोदी से संकट आया, तो उसने हुमायूँ को राखी भेजी। हुमायूँ ने तुरंत सेना भेजकर उसे बचाया।
आधुनिक परिप्रेक्ष्य:
रक्षाबंधन को आज भी उसी भावना और उत्साह के साथ मनाया जाता है। भाई-बहन के प्यार और संघर्षों को प्रकट करने का यह अद्वितीय त्योहार समाज में परिवारिक मूल्यों की महत्वपूर्णता को भी दर्शाता है।
इस पर्व का सबसे अद्वितीय पहलु है भाई और बहन के बीच के अटूट बंधन को मनाना।